शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

= गुरुदेवमहिमा-स्तोत्राष्टक(ग्रन्थ १८- छ.५/६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷

🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏

🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷

रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*

संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री

साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,

अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज

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*मनो काय बाचं तजै है विकारं,*
*उदै भान होतें गयौ अन्धकारं ।*
*अजोन्यं१ अनायास पाये अनादू,*
*नमो देव दादू नमो देव दादू ॥५॥* 
{१. श्रीदादूजी महाराज साबरमती नदी में पण्डित लोदीरामजी को प्राप्त हुए थे इससे वे अयोनिज(अजोन्यं) थे । दादू - सम्प्रदाय की यही प्रामाणिक मान्यता है ।} 
ज्ञानसम्पन्न होने के कारण इनके मन, वचन या शरीर में हो सकने वाले सभी विकार(दुर्गुण) उसी तरह नष्ट हो चुके हैं, जैसे सूर्य के उदय होते ही अन्धकार नष्ट हो जाता है । ये अयोनिज हैं, अतएव अनादि हैं । अनायास ही इस जगत् में लोककल्याण के लिये इन्होंने अवतार लिया है । अतः इनको बार-बार सविनय प्रणाम(सत्यराम) है ॥५॥ 
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*क्षमावंत भारी दयावन्त ऐसे,*
*प्रमाणिक आगै भये संत जैसे ।* 
*गह्यौ सत्य सोई लह्यौ पंथ आदू,*
*नमो देव दादू नमो देव दादू ॥६॥*
आप विरोधियों के ले लिये क्षमा के सागर हैं, छोटे लोगों पर(शिष्य व भक्तजनों पर) करुणा की वृष्टि करते रहते हैं । आप उन्हीं प्रामाणिक सन्तों की परम्परा में हैं, जो भगवान् के द्वारा लोककल्याण के लिये समय-समय पर इस संसार में भेजे जाते हैं । आपने भी ब्रह्मसाधना का वही पाखण्डरहित सत्पथ अपनाया है जो पूर्व के प्रामाणिक सन्तों के द्वारा अपनाया गया था, अतः ऐसे गुरुदेव श्री दयालजी महाराज को मेरा बार-बार दण्डवत् सत्यराम है ॥६॥ 
(क्रमशः)

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