卐 सत्यराम सा 卐
*ऐसो खेल बन्यो मेरी माई,*
*कैसै कहूँ कछु जान्यो न जाई ॥*
*दादू न जाणै ये चतुराई,*
*सोइ गुरु मेरा जिन सुधि पाई ॥*
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साभार ~ Vidya Bhaskar Dwivedi
**गणेश चतुर्थी रहस्य**
परमात्मा जन्म देता, मृत्यु देता। एक हाथ से जन्म देता, दुसरे हाथ से जन्म वापस ले लेता। यहाँ रात होती दिन होते। यहाँ गर्मी आती सर्दी आती, यहाँ मौसम बदलते रहते। यही तो जीवन की रहस्यम्यता है। यहाँ विरोध का मिलन है, यहाँ जन्म और मृत्यु के बीच, जीवन का खेल चलता है। जीवन का रास रसा जाता है। वही मैं तुमसे कह रहा हूँ कि ध्यान करो भी और ध्यान रखना कि ध्यान छोड़ना है। एक दिन छोड़ना है। विधि का एक दिन विसर्जन कर देना है। तुमने देखा ?
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हिन्दू इस सम्बन्ध में बड़े कुशल है, गणेश जी बना लिए मिट्टी के, पूजा इत्यादि करली और जाकर समुद्र में समा आये। दुनिया का कोई धर्म इतना हिम्मतवर नहीं है। अगर मन्दिर में मूर्ति रखली तो फिर सिराने की बात ही नही उठती। वो कहते है कि अब इसकी पूजा जारी रहेगी। हिन्दुओं की हिम्मत देखते हो ? पहले बना लेते हैं, मिट्टी के गणेश जी बना लेते हैं, मिट्टी के बना कर फिर उनमे भगवान का आरोपण कर लिया, नाच, कूंद, गीत, प्रार्थना पूजा सब हो गई, फिर वो कहते है अब चलो महाराज, अब हमें दुसरे काम भी करने हैं, अब आप समुद्र में विश्राम करो, फिर अगले साल उठा लेंगे। ये हिम्मत देखते हो ? इसका अर्थ क्या होता है ? इसका बड़ा सांकेतीक अर्थ है, अनुष्ठान का उपयोग करलो और समुद्र में सिरा दो।
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विधि का उपयोग करलो फिर विधि से बंधे मत रह जाओ। जहाँ हर चीज़ आती है जाती है, वहां भगवान को भी बना लो मिटा दो। जो भगवान् तुम्हारे साथ करता है, वही तुम भगवान के साथ करो, यही तो सज्जन का धर्म है। वो तुम्हे बनाता है मिटा देता है, उसकी कला तुम भी सीखो, उसे बनालो उसे विसर्जित कर दो। जब बनाते हिन्दू, तो कितने भाव से !! दुसरे धर्म के लोगों को बड़ी हैरानी होती, कितने भाव से बनाते है, कैसा रंगते, मूर्ति को कितना सुंदर बनाते, कितना खर्च करते, महीनों मेहनत करते हैं।
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जब मूर्ति बन जाती तो कितने भाव से पूजा करते फूल अर्चना भजन, कीर्तन, बड़े अद्भूत लोग है, फिर आ गया उनका विसर्जन का दिन, फिर वो चले बैंड बाजा बजाते, वो भी नाचते जाते, जन्म भी नृत्य है। मृत्यु भी नृत्य होना चाहिए, चले परमात्मा को सिरा देने, जन्म कर लिया था अब मृत्यु का समय आ गया। इस जगत में जो भी चीज़ बनती है वो मिटती है।
ओशो

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