बुधवार, 25 अक्टूबर 2017

= नाम-अष्टक(ग्रन्थ २०-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= नाम-अष्टक(ग्रन्थ २०) =*
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*राव मैं रंक मैं, साह मैं चौर मैं ।* 
*कीर मैं काग मैं, हंस मैं मोर मैं ॥
*सिंह मैं स्याल मैं, मच्छ मैं कच्छये ।* 
*अच्छये१ अच्छये अच्छये अच्छये ॥६॥ 
{१. कच्छये=अक्षये(अच्छये) से सानुप्रास के लिये ऐसा रूपान्तर है }
हे अविनाशिन् ! राजा(शासक) और रंक(गरीब) शाह(धनपति) एवं चौर आदि मनुष्यों में या कौवा, तोता, हंस और मोर आदि पक्षियों में, सिंह, गीदड़ आदि पशुओं में मछली-कछुआ आदि जलचर प्रानियों में आपके द्वारा प्रदत्त शक्ति ही कार्य कर रही है, उनका अपना कहे जाने लायक उनमें कुछ नहीं है ॥६॥ 
(क्रमशः)

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