🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= राम-अष्टक(ग्रन्थ १९) =*
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*भ्रमत संसार कतहू नहीं वीर जी ।*
*तीनहू लोक में काल कौ सोर जी ॥*
*मनुष तन यह बड़े भाग्य तें पाम जी ।*
*तुम सदा एक रस रामजी रामजी ॥७॥*
ये सभी प्राणी संसार में जन्ममरण के चक्र में फँसे रहते हैं, तीनों लोकों में काल(मृत्यु-विनाश) के भय के कारण कोलाहल(शोर) मचा हुआ है(हर प्राणी भय से काँपता है कि कब उसकी मौत आ जाय) । यह मनुष्य-शरीर बड़े भाग्य से(पुण्य-प्रताप से) प्राणी के सत्कर्मों से ही मिल पाता है: क्योंकि आप तो निष्पक्ष(पक्षपातरहित) हैं ॥७॥
(क्रमशः)

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