🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= पीर- मुरीद अष्टक(ग्रन्थ २४) =*
.
*तब कहै पीर मुरीद सेती,*
*बन्दगी है येह ।*
*इस राह पहुँचै चुस्तदम करि,*
*नांव उसका लेह ॥*
*तूं नांव उसका लेइगा,*
*तब जाइगा उस ठौर ।*
*जहां अरस ऊपर आप बैठा,*
*दूसरा नहिं और ॥५॥*
तब गुरुदेव ने कहा - हे शिष्य ! भक्ति मार्ग को प्राप्त करने का उपाय यही है कि तू दृढनिश्चय होकर दिन-रात भगवान् में तल्लीन होकर उसका नाम(राममन्त्र) जप करना शुरू कर दे ।
जब तू इसका नाम निरन्तर जपने लगेगा तो एक दिन ऐसा आ जायगा कि तू वह(ज्ञान-प्राप्ति का) मार्ग प्राप्त कर लेगा जहाँ(तेरे हृदयाकाश में) एकमात्र ब्रह्म ही ब्रह्म है, दूसरा कोई नहीं । अर्थात् भक्तिमार्ग के सहारे तू ब्रह्म को सर्वव्यापक समझकर संसार के द्वन्द्वों से छुटकारा पा जायगा ॥५॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें