🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= सहजानन्द(ग्रन्थ २७) =*
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*अब मो तें कछु होइ न आवै ।*
*ब्रह्मा बिष्णु महेश बुझावै ॥*
*ना मोहि योग यज्ञ की आसा ।*
*ना मैं करौं पवन अभ्यासा ॥९॥*
(इस सहज समाधि में लग जाने के बाद)अब मुझसे तथाकथित(हिन्दू मुसलामानों द्वारा बताये)कोई धर्म-कर्म नहीं होता भले ही मुझे इसके लिये ब्रह्मा-विष्णु या शंकर ही आकर क्यों न समझायें । न मुझे अब योग या यज्ञ से आशा है कि इनसे मुझे ब्रह्मज्ञान से बढ़कर कोई दुर्लभ वास्तु मिल जायगी । न मैं हठ योग के द्वारा श्वास पर नियंत्रण पाने की जरूरत समझता हूँ ॥९॥
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*ना मैं कोई आसन साधौं ।*
*ना मैं सती शक्याराधौं ॥*
*प्राणायाम धारणा ध्यान ।*
*ना मैं रेचक पूरक ठानं ॥१०॥*
अब न मैं विशेष आसन की साधना करता हूँ, न मैं समाधि लगाता हूँ, न मैं तन्त्र(शक्तिमन्त्र) की आराधना करता हूँ ।
(पीछे ‘ज्ञानसमुद्र’ ग्रन्थ में बतायी) प्राणायाम, धारणा ध्यान रेचक, पूरक आदि विधियाँ अब मेरे लिए किसी काम की नहीं रह गयी है ॥१०॥
(क्रमशः)
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