गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

= सहजानन्द(ग्रन्थ २७-३/४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= सहजानन्द(ग्रन्थ २७) =*
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*नां मैं कृत्तम कर्म बखानौं ।*
*नां रसूल का कलमा जानौं ।*
*नां मैं तीन ताग गलि नाऊं ।*
*नां मैं सुंनत करि बौराऊं ॥३॥*
मैं उन धर्मों में कही कृत्रिम(नित्य पंचकर्म) पूजा विधियों से दूर रहता हूं । (न मैं मुसलामानों के रसूल, पैगम्बर) का कलमा(दीक्षा- मन्त्र) का जाप करता हूँ और न मैं हिन्दुओं का जनेऊ(यज्ञोपवीत) पहनता हूं । न मैं सुन्नत(मुसलमानी) का ही पक्षपाती हूं ॥३॥
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*माला जपौं न तसबी फेरौं ।*
*तीरथ जाऊं न मक्का हेरौं ।*
*न्हाइ धोइ नहिं करूं अचारा ।*
*ऊजू तैं पुनि हूवा न्यारा ॥४॥*
न मैं हिन्दुओं की माला पर मन्त्रजाप करता हूँ न मुसलामानों की तसवीह(माला) पर । न हिन्दुओं के तीर्थ(काशी, हरद्वार, मथुरा आदि) जाने से पुण्य मानता हूँ । न मुसलामानों के धर्मतीर्थ(मक्का मदीना आदि) जाकर उस भगवान को खोजता हूँ । न मेरा स्नान-ध्यान की(हिन्दुओं की) आचारपद्धति पर विश्वास है न मुसलामानों की वजू-पद्धति(नमाज पढ़ने से पूर्व हाथ-पांव मुँह धोकर पवित्र होना) पर ॥४॥
(क्रमशः)

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