रविवार, 20 मई 2018

= शब्द का अँग(२२ - २५/२६) =

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐

*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*शब्द का अँग २२*
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शब्दों माँहीं राम - रस, साधौं भर दीया ।
आदि अंत अब सँत मिल, यौं दादू पीया ॥२५॥
सिद्ध सँतों ने अपने शब्दों में राम - रस भर दिया है । अत: साधक सँतों ने मिलकर उसे ही सृष्टि के आदि, मध्य और अंत तक उक्त विचार पद्धति से पान किया है ।
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**गुरु मुख कसौटी**
कारज को सीझै नहीं, मीठा बोलले बीर ।
दादू साचे शब्द बिन, कटे न तन की पीर ॥२६॥
गुरु - मुख से निकले मुक्ति आदि शब्द की परीक्षा बता रहे हैं, भोगाशा के समर्थक होने से मधुर लगने वाले सकाम कर्मों के उपदेश देने से मुक्ति तथा काम - क्रोधादि की निवृत्ति आदि कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता । निष्काम सँतों के यथार्थ ज्ञान - पूर्ण शब्दों के उपदेश बिना सूक्ष्म - शरीर के आसुरी गुण तथा आवागमन रूप पीड़ा नहीं मिटती । 
(क्रमशः)

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