सोमवार, 21 मई 2018

= आयुर्बल-भेद आत्मा-बिचार(ग्रन्थ ३६ / ११) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
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*= आयुर्बल-भेद आत्मा-बिचार(ग्रन्थ ३६) =*
*= आत्मस्वरूपवर्णन =*
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*यौं लघु दीरघ घाट कौ नाश ।*
*आतम चेतन स्वयं प्रकाश ॥*
*अजर अमर अविनाशी अंग ।*
*सदा अखंडित सदा अभंग ॥११॥*
जब इस स्वयम्प्रकाश चेतन आत्मा, जो कि अजर है, अमर है, अविनाशी है, सदा अखण्डित पूर्ण रहता है, का प्रकाश देह में ही जाता है(ब्रह्मज्ञान हो जाता है) तो इस नश्वर देह की घटने-बढ़ने वाली छाया(माया = अविद्या) नष्ट हो जाती है या उस ब्रह्म में लीन हो जाती है ॥११॥
(क्रमशः)

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