शुक्रवार, 8 जून 2018

= पूरबी भाषा बरवै(ग्रन्थ ३८/१४-१५) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
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*= पूरबी भाषा बरवै(ग्रन्थ ३८) =*
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*निशि दिन प्रेम हिंडुलवा दिहल मचाइ ।*
*सेई नारि सभागिनि झूलइ जाइ ॥१४॥*
इस दिव्य झूले पर वही सुहागिन नारी(ज्ञानी पुरूष) या जीवात्मा अपने कन्त(परमात्मा) के साथ झूलने का सौभाग्य पाती है, जिसने प्रेमा भक्ति के द्वारा अपने पति(परमात्मा) को वश में कर लिया है । (जीव-रूपी स्त्री प्रेमा भक्ति द्वारा ब्रह्मरूपी पति के साथ लीन हो जाती है । अर्थात् जीवतत्व परमात्मतत्व से मिल जाता है) ॥१४॥
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*सज्जन मिलिकैं गावल मंगलचार ।*
*प्रेम प्रकाश दसौं दिश भय उजरियार ॥१५॥*
इस सौभाग्यावस्था में अन्य सज्जन(जिज्ञासुजन) इस मिलन के लिये मंगलगान गाते हैं कि इस जीव का प्रेमानन्द के प्रकाश में दुःख(शोक) रूपी अन्धकार विनष्ट हो गया, केवल आनन्द की बृत्ति रह गयी है ॥१५॥
(क्रमशः)

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