#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*श्री दादू अनुभव वाणी* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*सजीवन का अँग २६*
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जीवित जगपति को मिले, जीवित आतमराम ।
जीवित दर्शन देखिये, दादू मन विश्राम ॥३४॥
जीवितावस्था में ही जगत्पति राम से जीवात्मा मिलता है और
जीवितावस्था में ही ब्रह्म का साक्षात्कार करने से मन को विश्राम मिलता है ।
जीवित पाया प्रेम रस, जीवित पिया अघाइ ।
जीवित पाया स्वाद सुख, दादू रहे समाइ ॥३५॥
सँतों ने जीते जी ही राम - प्रेम - रस को प्राप्त किया और तृप्त
होकर पान किया तथा जीते जी ही ब्रह्मानँद का आस्वादन प्राप्त करके सुख स्वरूप
ब्रह्म में समा कर स्थिर रहे हैं ।
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जीवित भागे भरम सब, छूटे कर्म अनेक ।
जीवित मुक्त सद्गति भये, दादू दर्शन एक१॥३६॥
जीवितावस्था में ही ज्ञान द्वारा ब्रह्म१ का साक्षात्कार करने
से जिनके सब भ्रम और अनेक सँचित कर्म नष्ट हुये हैं, वे ही जीते जी मुक्त होकर ब्रह्म - प्राप्ति रूप सद्गति को
प्राप्त हुये हैं ।
(क्रमशः)
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