सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

= सुन्दर पदावली(११. राग देवगन्धार १/१) =

#daduji


॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= ११. राग देवगन्धार =*
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(१) 
*अब कै सतगुरु मोहि जगायौ ।* 
*सूतौ हुतौ अचेत नींद मैं, बहुत काल दुःख पायौ ॥(टेक)* 
इस बार मेरे सद्गुरु ने मुझ को जगा दिया । मैं तो संज्ञारहित (बेहोश) होकर पड़ा था, उनने मुझ को सावधान किया, मैं तो बहुत समय से सांसारिक कष्ट से त्रस्त था ॥टेक॥ 
*कब हूं भयौ देव कर्मनि करि, कब हूं इन्द्र कहायौ ।* 
*कब हूं भूत पिशाच निशाचर, षात न कब हूं अघायौ ॥१॥* 
कभी मैं देवताओं के समान उदात्त कर्म करता हुआ इन्द्र कहलाया । कभी मैं हीन-कर्मों के कारण भूत, प्रेत, निशाचर आदि की योनि में पहुँच गया । मैं वहाँ किसी अन्य की अधिक से अधिक हानि करके भी कभी सन्तुष्ट न हुआ ॥१॥
(क्रमशः)

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