#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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*विनती*
काम क्रोध सँशय सदा, कबहूं नाम न लीन ।
पाखँड प्रपँच पाप में, दादू ऐसे खीन१॥११॥
११ - २० में विनय कर रहे हैं - मेरे अन्त:करण में सदा काम, क्रोध और नाना प्रकार के सँशय भरे रहे, कभी भी मन से भगवान् का नाम नहीं लिया । बाहर के आडम्बर और वचन - चातुर्य रूप छ से पाप कार्यों में ही प्रवृत्त होता रहा । इसी प्रकार मेरी आयु क्षीण१ हो गई ।
(क्रमशः)
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