#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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महा अपराधी एक मैं, सारे इहिं सँसार ।
अवगुण मेरे अति घणे, अंत न आये पार ॥६॥
प्रभो ! इस सँपूर्ण सँसार में एक मैं ही महान् अपराधी हूं । मेरे अवगुण तो इतने अत्यधिक हैं कि मैं अपने पुरुषार्थ से उनका अन्त करके उनके पार चला जाऊँ, ऐसा संभव ज्ञात नहीं होता ।
(क्रमशः)
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