#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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दोष अनेक कलँक सब, बहुत बुरा मुझ माँहिं ।
मैं कीये अपराध सब, तुम तैं छाना नाँहिं ॥८॥
प्रभो ! मैंने अनेक अवगुण किये हैं, मुझ में सभी दोष हैं तथा और भी बहुत बुरापन है । अत: मैंने अपनी आयु में सब अपराध ही किये हैं । आप सर्वज्ञ होने से उन सबको जानते ही हैं ।
(क्रमशः)
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