शुक्रवार, 22 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१७ राग जैजैवन्ती - १/२) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १७. राग जैजैवन्ती(१/२)=*
*जाकै रूपरेष कछु बरणि कह्यौ न जाइ ।* 
*अलष अमूरति अमर अबिनास है ॥३॥* 
*सोहं सोहं बार बार होतई रहत नित्य ।* 
*याही मैं संमुझि जो उठत तेरै स्वास है ॥४॥* 
*एकता बिचारै जब सुन्दर ही स्वामी होइ ।* 
*दूसरौ बिचारै तब सुन्दर ही दास है ॥५॥* 
जिसके आकार का न कोई रूप है न रेखा । वह तो अवर्णनीय है, अलक्ष्य है, अमूर्त(सूक्ष्म) है, अमर है, अविनाशी है ॥३॥ 
तेरे हृदय में ‘सोहं’ ‘सोहं’ का नाद प्रतिक्षण होता रहता है । उस नाद को तूँ अपने श्वास से मिलाने का प्रयास कर ॥४॥ 
अद्वैत मत से विचार करे तो सुन्दर(शिष्य) ही स्वामी प्रतीत होगा । हाँ, यदि द्वैत मत से विचार्रें तो ‘दास’(शिष्य) एवं ‘सुन्दर’(गुरु) दो हैं ही ॥५॥ 
(क्रमशः)

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