रविवार, 10 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१६.राग सोरठ - १३/२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १६. राग सोरठ (१३/२)=*
*कोई निंदै कोई बंदै,*
*सम दृष्टी तत-ज्ञाता हो ।* 
*कोप न करै हरष नहिं मांनै,*
*परम पुरुष सौं राता हो ॥३॥* 
*जग मैं रहै जगत सौं न्यारे,*
*ज्यौं जल पुरइनि पाता हो ।* 
*सुन्दरदास संत जन ऐसे,*
*सिरजे आप बिधाता हो ॥४॥* 
कोई निन्दा करे या प्रशंसा, सभी को समान भाव से देखने वाला तथा तत्त्व ज्ञानी हो । न किसी पर क्रोध, न किसी पर अति दया या प्रेम प्रदर्शन करता हो, निरन्तर परम पुरुष का चिन्तक हो ॥३॥ 
जगत् में रहकर भी जगत् से पृथक व्यवहार, जैसे जल में रहकर भी कमलपत्र का होता है, करता हो, महाराज सुन्दरदासजी कहते हैं, ऐसे सन्तजन भगवान् अपने हाथों से रचते हैं ॥४॥
(क्रमशः)

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