मंगलवार, 19 मार्च 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*तन मन अपणा हाथ कर, ताहि सौं ल्यौ लाइ ।*
*दादू निर्गुण राम सौं, ज्यों जल जलहि समाइ ॥* 
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal

##### आत्मिक समृद्धि #####'
एक दिन चिंग शुई नाम के एक नये भिक्षु ने सदगुरु पेंग ची के आश्रम में पहुंच कर कहा - "मैं बहुत अज्ञानी और दरिद्र हूँ, मुझे कुछ आत्मिक समृद्धि चाहिये, पूज्यश्री ! आप दया करें ।"
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सदगुरु ने एक क्षण उसे देखा और फिर बङे जोर से आवाज दी - "भन्ते ! चिंग शुई !" शुई ने कहा - "जी गुरुदेव !" सदगुरु हंसने लगे । क्या हुआ ? सिर्फ नाम पुकारा था और भिक्षु ने उत्तर दिया था - "जी गुरुदेव !"
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सदगुरु यह कह रहे है कि तुझे इतना होश है कि मैंने पुकारा और तुमने उत्तर दिया, तुम्हें इतना होश है तो वह काफी है । तुम बहरे नहीं हो, यही तो समृद्धि है । मैंने पुकारा और तुम्हारा प्रत्युत्तर आया, तुम अचेतन नही हो, यही तो समृद्धि है ।
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मैंने पुकारा और तत्क्षण बिना सोचे तुमने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी, तुम्हारे भीतर सोच-विचार नहीं हुआ यही तो है - ध्यान ! यही घङी गहरी होती जाये तो अभी प्याला पिया है, फिर तुम पूरी सरिता, पूरा सागर ही पी जाओगे ।
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### संस्कार बिन्दु पत्रिका साँभर जयपुर द्वारा प्रेरित ॥

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