शनिवार, 30 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१८. राग रामगरी - २/२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
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*जे जे कृत संसार के ते सन्तनि छांडे ।* 
*ताकौ जगत कहा करै पग आगै माँडे ॥२॥* 
*जे मरजादा बेद की ते सन्तनि मेटी ।* 
*जैसें गोपी कृष्ण कौं सब तजि करि भेटी ॥३॥* 
*एक भरोसे राम कै कछु शंक न आंनैं ।* 
*जन सुन्दर सांचै मतै जग की नहिं मांनैं ॥४॥* 
अब संसार के सभी छोटे बड़े कृत्य सन्तों ने त्याग दिये हैं । अब संसार उनकी क्या हानि कर पायगा, जब उनने आगे बढ़ने का दृढ़ निश्चय कर ही लिया है ॥२॥ 
अब सन्तों के सन्मुख वेद की विधि – व्यवस्था का कोई महत्त्व नहीं रह गया है जैसे कि गोपियाँअपने समाज की सभी मर्यादाओं का त्याग कर, स्वयं कृष्ण के सन्मुख आत्मसमर्पित हो गयी थीं ॥३॥ 
भगवान् पर पूर्ण विश्वास कर लेने के बाद, संसार का यत्किञ्चित भी भय नहीं मानना चाहिये । महाराज सुन्दरदासजी कहते हैं – साधक के लिए अपने लिए सत्य लक्ष्य के निर्धारण के बाद जगत की सभी प्रतिकूल बातें अग्राह्य हो जाती हैं ॥४॥
(क्रमशः)

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