#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*विनती का अँग ३४*
.
दादू बुरा बुरा सब हम किया, सो मुख कह्या न जाइ ।
निर्मल मेरा साँइयां, ताको दोष न लाइ ॥३॥
अहो ! हमने तो सब बुरे ही बुरे कर्म किये हैं और वे इतने बुरे हैं कि - सँकोचवश हम अपने मुख से उनका कथन भी नहीं कर सकते । अत: परमात्मा को यह दोष कभी नहीं लगाना चाहिए कि "वे दु:ख दे रहे हैं ।" कारण, वे हमारे परमेश्वर तो परम निर्मल हैं, उनमें दोष कैसा ?
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें