#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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सांई सेवा चोर मैं, अपराधी बन्दा ।
दादू दूजा को नहीं, मुझ सरीषा१ गन्दा ॥४॥
अहो ! मैं भगवत् की आज्ञानुसार भक्ति नहीं कर रहा हूं । अत: मेरे समान१ मलिन और अपराधी दास अन्य कौन होगा ?
(क्रमशः)
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