#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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दादू बहु बन्धन सौं बँधिया, एक विचारा जीव ।
अपने बल छूटे नहीं, छोड़नहारा पीव ॥१२॥
यह पराधीन अकेला जीव कर्म, विषयाशा, देहाध्यास, अज्ञानादि नाना बन्धनों से बंधा हुआ है । अपने उद्योग - बल से छूटना संभव नहीं । अत: उक्त बँधनों से मुक्त कराने वाले तो एक आप परमात्मा ही हैं ।
(क्रमशः)
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