मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

= विनती का अँग(३४ - ४२) =

#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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काया के वश जीव है, कस - कस बँध्या माँहिं । 
दादू आत्मराम बिन, क्यों ही छूटै नाँहिं ॥४२॥ 
यह जीवात्मा शरीर के अधीन होने से देहाध्यास रूप बन्धन से अत्यधिक खींचकर बंधा हुआ है । अत: आत्माराम के अभेद ज्ञान बिना किसी भी प्रकार मुक्त नहीं हो सकता ।
(क्रमशः)

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