मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

= सुन्दर पदावली(१९.राग बसंत - ६/२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
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*तहां शब्द अनाहद अति रसाल,*
*धुनि दुन्दभि ढोल मृदंग ताल ।* 
*सुष उपजै श्रवननि सुनत नाद,*
*मन मगन होइ छूटै बिषाद ॥३॥* 
*हम तुमहिं पकरि आंजि हैं नैंन,*
*सब हो हो हो हो कहै बैंन ।* 
*तुम छूट्यौ चाहत फगुवा देइ,*
*यह सुन्दर नारि कछू न लेइ ॥४॥* 
वहाँ निरन्तर मधुर अनाहत नाद सुनायी देता रहे । वहाँ दुन्दुभि एवं ढोल की मधुर ध्वनि तथा मृदंग की ताल सुनायी देती रहे । जिसके सुनने से कानों को सुख मिले, हमारा मन उसी में उन्मत्त हो जाय तो सभी दु:खों की निवृत्ति हो सकती है ॥३॥ 
हम तुम्हें पकड़ कर तुम्हारी आँखों में आँजन डालेंगी, उसे देख कर लोग मुक्त हास्य हँसेंगे । तुम हमें केवल इस उत्सव की भेंट देकर हमसे मुक्त होने की इच्छा करते हो; परन्तु सुन्दर नारियाँ ऐसा नहीं होने देंगी ॥४॥
(क्रमशः)

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