#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*नटवट रच्यौ नटवै एक ।*
*बहु प्रकार बनाइ बाजी किये रूप अनेक ॥(टेक)*
*चारि षानी जीव तिनकी और औरैं जाति ।*
*एक एक समान नांहीं करी ऐसी भांति ॥१॥*
उन नटवर प्रभु ने एक विशेष अभिनेता की रचना की । विविध उपायों द्वारा अपने अनेक रूप रचे ॥टेक॥ चारों दिशाओं में विभिन्न जातियों के प्राणी हैं । उनमें कोई भी एक दूसरे के तुल्य नहीं है ॥१॥
(क्रमशः)

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