गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

= सुन्दर पदावली(१९.राग बसंत - १/१) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
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*इनि योगी लीनी गुरु की सोष ।* 
*नाम निरञ्जन मांगै भीष ॥(टेक)* 
*कंथा पहरी पंचरङ्ग,*
*ज्ञान बिभूति लगाई अङ्ग ।* 
*मुद्रा गुरु कौ शब्द कान,*
*ऐसौ भेष कियौ अवधू सुजान ॥१॥* 
*सींगी सुरति बजाई पूरि,*
*बस्ती देषी बहुत दूरि ।* 
*जहां शब्द सुनै नगरी मंझारि,*
*तहां आसन करि बैठौ बिचारि ॥२॥* 
*यथार्थ योगियों की वेशभूषा का वर्णन :* 
इन योगियों ने अपने गुरु से यह शिक्षा ली है कि ये निरन्जन नाम की भिक्षा मांग रहे हैं ॥टेक॥ 
इन ने पाँच रंगों(तत्त्वों) वाली कथा(लम्बा कुर्ता) पहनी है, ज्ञान की विभूति(भस्म) अपने समस्त शरीर पर लगा रखी है । कानों में गुरुपदेश की मुद्रा(कुण्डल) पहन रखी है । इन सुबुद्ध अवधूतों ने अपने शरीर पर ऐसा वेष धारण किया है ॥१॥ 
इनने सुरति रूपी सींगी बजायी है, क्योंकि इनको अभी योगियों के वास अभी बहुत दूर दिखायी दे रहे हैं । ये अपने बैठने के लिए ऐसा स्थान खोज रहे हैं जहाँ सुखपूर्वक बैठा जा सके ॥२॥
(क्रमशः)

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