बुधवार, 3 अप्रैल 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*मेरी मेरी करत जग खीना, देखत ही चल जावै ।*
*काम क्रोध तृष्णा तन जालै, तातैं पार न पावै ॥*
*मूरख ममता जन्म गमावै, भूल रहे इहिं बाजी ।*
*बाजीगर को जानत नांही, जन्म गंवावै वादी ॥* 
(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ४४)
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साभार ~ Kishor A Patel

तपश्‍चर्या.....♡

कौन सी चीज तुम्हें रुलाती है, वही तुम्हारा मोह है. कौन सी चीज के खो जाने से तुम अभाव अनुभव करते हों, वही तुम्हारा मोह है.....

सोचना..... कौन सी चीज खो जाए कि तुम एकदम दीन-हीन हो जाओगे वह तुम्हारे मोह का बिंदु है. और इसके पहले कि वह खोए, तुम उस पर से अपनी पकड़ छोड़ना क्योंकि वह खोएगी.....!

इस संसार में कोई भी चीज स्थिर नहीं है न मित्रता, न प्रेम. कोई भी चीज स्थिर नहीं है. यहां सब बदलता हुआ है.

संसार का स्वभाव प्रतिक्षण परिवर्तन है..... यह एक बहाव है, नदी की तरह बह रहा है. यहां कुछ भी ठहरा हुआ नहीं. तुम लाख उपाय करो, तो भी कुछ ठहरा हुआ नहीं हो सकता. तुम्हारे उपाय के कारण ही तुम परेशान हो. जो सदा चल रहा है, उसको तुम ठहराना चाहते हो; जो बह रहा है, उसे तुम रोकना चाहते हो, जमाना चाहते हो. वह जमनेवाला नहीं है. वह उसका स्वभाव नहीं है.....

परिवर्तन संसार है..... और वहां तुम चाहते हो कि कुछ स्थायी सहारा मिल जाये, वह नहीं मिलता. इसलिए तुम प्रतिपल दुखी हो. हर क्षण तुम्हारे सहारे खो जाते हैं.....

एक बात खोजने की चेष्टा करना कि कौन सी चीजें हैं जो खो जायें तो तुम दुखी होओगे..... इसके पहले कि वे खोये, तुम अपनी पकड़ हटाना शुरू कर देना. यह मोह~जय का उपाय है..... पीड़ा होगी; लेकिन यह पीड़ा झेलने जैसी है; यह तपश्‍चर्या है.....!

शिव सूत्र~ओशो.....♡

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