मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

= सुन्दर पदावली(१९.राग बसंत - ३/२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
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*ताहि सींचत है प्रभु बार बार,*
*पुनि पल पल मांहिं करै संभार ।* 
*प्रभु सब ही द्रुम कौ मर्म जांन,*
*तामैं कोइक वाकै मनहिं मांन ॥३॥* 
*जो फलै न फूलै बाग मांहिं,*
*ऐसौ सत गुरु चन्दन और नांहिं ।* 
*ताकी रञ्चक लागी आइ बास,*
*तिन पलटि लियौ सुन्दर पलास ॥४॥* 
इस उद्यान को हमारे ये प्रभु बार बार सींचते रहते हैं । प्रत्येक क्षण, इसकी रक्षा का भी ध्यान रखते हैं । वे इसके प्रत्येक वृक्ष की वास्तविकता मानते हुए कुछ को अधिक महत्त्व देते हैं ॥३॥ 
जो अन्य किसी उद्यान में फलता फूलता नहीं है ऐसा चन्दन वृक्ष भी हमारे गुरु ने इस बाग में लगा रखा है । उसकी जो कोई प्राणी थोड़ी भी गंध ले लेता है, महात्मा सुन्दरदासजी कहते हैं – उस की काया में आश्चर्यमय परिवर्तन हो जाता है ॥४॥ 
(क्रमशः)

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