#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*यह सब जानि जग की षोट ।*
*छाडि श्रीपति सरन सांचौ गहैं झूठी वोट ॥(टेक)*
*दगाबाज प्रचण्ड लोभी कामना नहिं छेह ।*
*भूत आगै पूत मांगै परैगी सिर षेह ॥१॥*
तुम यह सब संसार की कमी(न्यूनता) ही समझो कि जहाँ भगवान् के चरणकमलों को छोड़ कर मिथ्या वस्तुओं के संग्रह में उलझ गया है ॥टेक॥
तुम्हारी यह तृष्णा अतिशय भ्रान्ति में डालने वाली, बहुत अधिक लोभी है । अरे ! कभी किसी ने किसी भूत-प्रेत से पुत्र की कामना की है ॥१॥
(क्रमशः)
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