#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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*सजीवन*
फूटा फेरि संवार कर, ले पहुंचावे ओर१ ।
ऐसा कोई ना मिले, दादू गई बहोर२॥३०॥
३० - ३१ में सजीवन ब्रह्म के साक्षात्कार कराने वाले महापुरुष के मिलन की इच्छा प्रकट कर रहे हैं - ऐसा कोई सँत नहीं मिल रहा है - जो भगवान् से टूटे हुये हमारे प्रेम - सँबँध को अपने उपदेश द्वारा पुन: जोड़ करके हमारे आदि स्वरूप परब्रह्म के पास१ पहुंचा दे । इसी आशा में हमारी बहुत अवधि२ रूप आयु चली गई और फिर२ भी जा ही रही है ।
(क्रमशः)
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