#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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*दया विनती*
नाँहीं परकट ह्वै रह्या, है सो रह्या लुकाइ१ ।
सँइयां पड़दा दूर कर, तूँ ह्वै परकट आइ ॥२४॥
२४ - २९ में भगवद् - दया प्रदर्शन - पूर्वक दर्शनार्थ विनय कर रहे हैं - असत्य मायिक प्रपँच तो प्रत्यक्ष भास रहा है और जो सत्य स्वरूप ब्रह्म है, वह अज्ञान रूप पड़दे के नीचे छिप१ रहा है । अत: हे स्वामिन् ! अज्ञान - पड़दे को दूर करके हमारे अन्त:करण में प्रकट होकर आप हमें दर्शन देने की दया कीजिये ।
(क्रमशः)
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