#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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यहु घट बोहित१ धार में, दरिया वार न पार ।
भयभीत भयानक देखकर, दादू करी पुकार ॥४०॥
जिस सँसार रूप महानद का वार - पार ज्ञात नहीं होता, उसकी विषय - वासना रूप प्रबल धार में मेरी काया रूप विशाल नाव१ पड़ गई है । उसकी भयानकता को देखकर मैं भयभीत हुआ पुकार रहा हूं - हे भगवान् ! मुझे पार करिये ।
(क्रमशः)
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