मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - १८)

🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷

🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*ऐसो खेल बन्यो मेरी माई,*
*कैसै कहूँ कछु जान्यो न जाई ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ६७)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - १८)
*जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,*
*लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥१८॥*
अर्थ - जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।

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