शनिवार, 24 अगस्त 2019

= २६ =

#daduji


॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
*श्री दादू अनुभव वाणी, द्वितीय भाग : शब्द* 
*राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
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२६(क) भय चेतावनी । त्रिताल
जियरा चेत रे जनि जारे ।
हेजैं हरि सौं प्रीति न कीन्ही, 
जनम अमोलक हारे ॥टेक॥
बेर बेर समझायो रे जियरा, 
अचेत न होइ गंवारे ।
यहु तन है कागद की गुड़िया, 
कछु इक चेत विचारे ॥१॥
तिल तिल तुझ को हानि होत है, 
जे पल राम विसारे ।
भय भारी दादू के जिय में, 
कहु कैसे कर डारे ॥२॥
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मन को भय से सावधान कर रहे हैं - हे मन ! सावधान हो, चिन्तादि से क्यों जल रहा है ? तूने स्नेह से हरि की भक्ति नहीं की, इस अमूल्य जन्म को खो रहा है ?
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अरे मूर्ख मन ! तू असावधान मत हो । तुझे बारँबार समझाया है, यह शरीर कागज की गुड़िया के समान है, इसे नष्ट होते क्या देर लगेगी ? 
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सचेत होकर कुछ तो विचार कर, क्षण - क्षण में तेरी हानि हो रही है । यदि तू एक पल भर भी राम को भूलेगा तो तेरे हृदय में महान् भय की सँभावना है कि यह मन पता नहीं किस प्रकार के कुटिल कर्म कर डाले और कैसी योनि में डाल दे । अत: कर्म बँधन काटने के लिए शीघ्र राम का भजन कर ।
(क्रमशः)

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