शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

= *उपदेश चेतावनी का अंग ८२(१२५=१२८)* =

🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷

🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷 
*आपा पर सब दूर कर, राम नाम रस लाग ।*
*दादू अवसर जात है, जाग सकै तो जाग ॥* 
=============== 
**श्री रज्जबवाणी** 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
साभार विद्युत् संस्करण ~ Tapasvi Ram Gopal
.
*उपदेश चेतावनी का अंग ८२*
अल्प आयु बहु विघ्न बिच, अतिगति१ अहमक२ मन्न३ । 
रज्जब अज्जब समय में, करै न सुकृत धन्न ॥१२५॥ 
आयु बहुत कम है, उसमें भी बहुत विघ्न आते रहते हैं और मन३ भी अत्यन्त१ मूर्ख२ है, फिर भी इस मनुष्य शरीर के अद्भुत समय में पुण्य कर्म रूप धन क्यों नहीं संग्रह करता ? 
आदम१ के शिर कर२ धर्या, अविगत३ करना याद४ । 
इस काया यहु काम जी६, नहिं तो निष्फल बाद५ ॥१२६॥ 
मनुष्य१ के शिर पर परमात्मा३ का स्मरण४ करना रूप दंड२ रक्खा गया है, इस शरीर में जीव६ का यही मुख्य कार्य है, इसको न करे तो पीछे५ यह शरीर निष्फल ही माना जाता है । 
रज्जब रोवहु रैन दिन, कीजे तोबा१ त्राहि२ । 
राम विसारण रोग को, औषध यो ही आहि ॥१२७॥ 
राम को भूलना रूप रोग की औषधि यही है कि रात - दिन रोते हुये रक्षा२ करने की प्रार्थना करो और राम को न भूलने का प्रण१ करो । 
राम विसारण रोग जीव, औषधि करना याद । 
रज्जब वैद्य बताय दी, देख रू दीज्यो दाद ॥१२८॥ 
हे जीव ! राम को भूलना रूप रोग औषधि राम का स्मरण करना ही है, यह गुरु रूप वैद्य ने बता दी है । इसे देखकर गुरु की तथा औषधि की प्रसंसा ही करना, अनादर नहीं करना । 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें