卐 सत्यराम सा 卐
*हरि जल बरसै बाहिरा, सूखे काया खेत ।*
*दादू हरिया होइगा, सींचणहार सुचेत ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
=======================
साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
.
*भक्त कृपा से दु:ख नाश -*
################
भक्त कृपा से सहज ही, सभी खेद मिट जाय ।
भक्तराम बच से उठा, गोविन्दा हर्षाय ॥४७५॥
गंगायचा के दादूपंथी भक्तरामजी के पास एक अनाथ भैंसा रहने लगा था । भक्तरामजी ने उसका नाम गोविन्दा रख लिया था । वह खेतों मे घुस जाता था, इसलिये एक दिन कुछ कर्षो(किसानों) ने उसे पकड़ करके बहुत मारा और चम्मल नदी के एक खड्डे में डाल दिया । भक्तरामजी को ज्ञात हुआ तब वे उसके पास जाकर बोले -
"गोविन्दा गाढी बणी, ये कर्मन का खेल ।
मँगरां सहे न पाछणे, कैसे सहे सुशेल ॥"
हे गोविन्दा ! गाढी बणी(बहुत बुरी बात हुई) किन्तु यह कर्म की बात है । तू ने मँगरां(पीठ) पर कभी पाछणे भी नहीं सहे थे । आज ये शेल आदि शस्त्र कैसे सहे होंगे । यह कह कर कृपापूर्वक उसके शरीर पर हाथ फेरा । बस वह तत्काल अच्छा हो गया ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें