बुधवार, 11 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू जन्म गया सब देखतां, झूठी के संग लाग ।*
*साचे प्रीतम को मिले, भाग सके तो भाग ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ माया का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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###श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु~भाग २, वैराग्य###
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धन के समीप भी नहीं, रहे बिरत बड़भाग ।
रांका बांका चल दिये, शीध्र गेह को त्याग ॥२०३॥
भक्त रांका बांका के घर चोर घुस गये ।
रांका ने सोचा - यह लोग कुछ लेने को आये हैं किन्तु हमारे यहां तो कुछ भी नहीं है । मैनें जो गत दिन धन देखा था वह इन्हें बता दिया जाय तो इनका दरिद्र चला जायेगा ।
यह सोच कर बांका(रांका की पत्नी) को जगा कर चोरों को सुनाते हुये कहा - बांका जी गत दिनों वन में मैनें अमुख स्थान पर धन का चरू गड़ा देखा था ।
बांका - आपको उससे क्या काम है ? आप तो अपना भजन करे।
यह सुनकर यह सुनकर चोर सीधे वहां पहुचे । चरू मिल गया, किन्तु खोलते ही सर्प की फुफकार सुनाई दी । चोरों ने यह सोच कर कि वह हमें मरवाना चाहता था, इसलिये यह सर्प उसी के घर में छोड़ा । 
बन्द चुरू को लाकर छप्पर ऊँचा करके उल्टा किया मोहरों के पड़ने का शब्द सुनाई दिया ।प्रात:काल हो आया था इससे चोर तो भाग गये थे ।
रांका - बांकाजी, यह धन गरीबों में बांट दो ।
बांका - जिसको हम विष के समान समझते हैं उसे दूसरों को कैसे देंगे ? बस हमकों तो यहां से चल देना ही अच्छा है । पीछे जो हरि इच्छा होगी वही हो जायगा । दोनों उसी क्षण घर छोड़ कर चल दिये ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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