#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*मींयां हर्दम हर्दम रे*
*अपने सांईं को संभाल ।*
*मुसलमान ईमान राषिलै*
*करद हाथ तैं डाल ॥(टेक)*
*सुनि यह सीष पुकार*
*कहत हौं मिहरवानगी पाल ।*
*सब अरवाहैं सिरजी साहिब*
*किसकी काटत षाल ॥१॥*
*पांच सात मिलि पकै*
*सहनक ह्वै बैठै बेहाल ।*
*मुरदा षाइ भये तुम मोमिन*
*कीया कहत हलाल ॥२॥*
सन्तों ! आप प्रतिक्षण अपने प्रभु का स्मरण कीजिये । सच्चे मुसलमान का भी यही कर्तव्य है कि वह अपने ईमान(सदाचार) को बनाये रखे । तथा हिंसा का सर्वथा त्याग कर दे ॥टेक॥
अरे शिष्य ! सुन ! मैं तुझको दयाकर के यह शिक्षा दे रहा हूँ कि तूँ प्राणी हिंसा का सर्वथा त्याग कर दें; क्योंकि सभी प्राणियों में उस भगवान् का वास है । तूँ किसकी हिंसा करके चर्म उधेड़ रहा है ! ॥१॥
तुम पाँच सात ने मिलकर किसी प्राणी को मारा, फिर उसका मांस पकाया, अब उसे खाने बैठे हो और कहते हो कि यह अहिंसा(हलाल) का कार्य है । इस प्रकार, अपने को मोमिन भी प्रख्यात कर रहे हो और अपने इस हिंसक कृत्य को अहिंसक भी सिद्ध कर रहे हो ॥२॥
(क्रमशः)

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