卐 सत्यराम सा 卐
*दादू नेड़ा परम पद, कर साधु का संग ।*
*दादू सहजैं पाइये, तन मन लागै रंग ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*भक्त दर्शन से महान परिवर्तन -*
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भक्त दर्श से होत है, परिवर्तन सु महान ।
वत्सों ने सुखराम लख, दूध करा नहिं पान ॥४५७॥
शुद्ध ह्दय जन साधना, शीध्र सफल हो जाय ।
मिलत भये सुखराम को, सत्वर दादू आय ॥४५९॥
विद्याद के पास के पिंगला पर्वत पर संतवर दादूजी के शिष्य हरिसिंहजी के शिष्य परंपरा के संत प्रेमदासजी तप कर रहे थे । एक दिन गौ चराते हुये सुखराम नामक बालक को उनके दर्शन हो गये उससे सुखराम के जीवन में भारी परिवर्तन हो गया ।
उसके वैराग्य की स्थिति को देखकर बछड़ों ने भी दूध नहीं पिया । सुखराम की माता ने उस स्थिति का कारण पूछा ! सुखराम ने कहा - 'एक संत के दर्शन से ऐसा हो गया है ।' माता मझदार थी, उसने कहा - 'बेटा ! तू अब उसी संत का शिष्य हो जा ।' सुखराम ने वैसा ही किया । माता की आज्ञा से बालक सुखराम दादूपंथी संत प्रेमदासजी का शिष्य होने गया ।
संत ने कहा - 'दादूराम दादूराम कर ।' फिर एक मिट्टी का घड़ा देकर कहा - 'इसे बारह बर्ष हमने निबाहा है, बारह बर्ष तू निबाह(संभालना) लेगा तब तेरा योग पूरा हो जायगा ।'
घड़ा लेकर सुखराम जल लाने गये । आते समय पहले ही दिन वह घड़ा फूट गया । सुखराम रोने लगे तथा दादूजी का स्मरण किया । शुद्ध ह्दय की पुकार सुनते ही दादूजी प्रगट हो गये और घड़े को जोड़ दिया । एक ठीकरी ठीक नहीं बैठने से प्रेमदासजी ने पूछा यह क्या बात है ? सुखराम ने सब बात सुना दी । प्रेमदासजी बोले - 'भाई ! मुझे जो चौबीस वर्ष में नहीं मिले वे तुझे एक दिन में ही मिल गये तू धन्य है । आगे चल कर सुखराम एक महान संत हुये ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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