रविवार, 15 सितंबर 2019

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*दादू स्वाद लागि संसार सब, देखत परलै जाइ ।*
*इन्द्री स्वारथ साच तजि, सबै बंधाणै आइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ माया का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal​
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ##भाग १ ##काम*
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वस्तु विचार बिना किये, तन में हों आसक्त ।
इक महिला ने मल दिखा, किया युवक को विरक्त ॥२३॥
एक युवक, एक सुन्दरी महिला के रूप पर मोहित होकर उनसे बोला - "तुम्हारा रूप बड़ा सुन्दर है, तुम मेरी इच्छा पूर्ण करो ।"
महिला विचारशील थी, उसने कहा - "अच्छा, आप कल अमुक समय पधारना ।" युवक को ऐसा कह कर उसने एक तीव्र जुलाब लिया । जिससे उसे बहुत दस्त हुए और वह कमजोर होकर लेट गई ।
युवक आया और इसकी वर्तमान दशा देखकर बोला - "सुन्दरी तुम्हारा वह रूप कहां गया ?" 
उसने मल की नांद(मिट्टी का बड़ा बरतन) भर रखी थी वह दिखा कर बोली - "जिससे आप प्रेम करते थे वह रूप तो इसमें है । इससे युवक को वैराग्य हो गया और युवती को प्रणाम करके वह चला गया ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###

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