रविवार, 15 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*जब समझ्या तब सुरझिया, गुरुमुख ज्ञान अलेख ।*
*ऊर्ध्व कमल में आरसी, फिर कर आपा देख ॥*
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साभार ~ Atul Solanki

🌹🌹 हे भगवान,
जब कोई छल और दगाबाजी करता है, या जब कोई मुझे वस्तु की तरह उपयोग करता है, ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए? मुझे उस व्यक्ति को चोट भी नहीं पहुंचानी। मन की शांति कैसे मिले ?
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🌹🌹 जीवन की उलझनों में दूसरे कभी भी उत्तरदायी नहीं होते। सारा उत्तरदायित्व अपना होता है। जैसे तुमने कहा कि जब कोई मुझसे छल और दगा करता है तो मेरे दिल को चोट पहुंचती है। थोड़ा सोचो, दिल को चोट किसी के छल और दगा करने से नहीं होती। तुमने चाहा था कि कोई छल और दगा न करे इसलिए चोट होती है।
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यह तुम्हारी चाह का फल है। और सारी दुनिया तुम्हारी चाह को मानकर चले, यह तुम्हारे हाथ में नहीं। यह किसी के भी हाथ में नहीं। लेकिन हम यूं ही सोचने के आदी हो गए हैं कि हर चीज का दायित्व दूसरे पर थोप दें। इससे आसानी होती है, राहत मिलती है। राहत मिलती है कि मैं जिम्मेवार नहीं हूं।
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अब कोई छल कर रहा है इसलिए कष्ट हो रहा है। लेकिन तुमने चाहा ही क्यों कि कोई छल न करे? और यह हमारे हाथ में कहा है कि हम ऐसी दुनिया बना लें जिसमें छल और कपट न हो? छल भी होगा, कपट भी होगा। हम इतना जरूर कर सकते हैं कि हम अपने को ऐसा बना लें कि दूसरे के छल और कपट को भी स्वीकार कर सकें, कर्म उसका है, फल उसका होगा। जो तुम्हें धोखा दे, समझना कि बड़ा गरीब है। तुमसे तो ज्यादा गरीब है।
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जो तुम्हारे साथ छल करे, कपट करे, समझना कि बड़ा दीन है। तुमसे तो बड़ा भिखारी है। उस पर दया करना, उस पर करुणा करना। इसलिए नहीं कि तुम्हारी दया और करुणा से वह बदल ही जाएगा। वह बदले या न बदले लेकिन तुम बदल जाओगे। और असलियत बात यही है कि तुम बदल जाओ। और तुम एक ऐसी स्थिति में आ जाओ कि दुनिया तुम्हारे साथ कुछ भी करे लेकिन तुम्हें डांवाडोल न कर सके।
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तुमने पूछा है कि लोग जब किसी वस्तु की तरह मेरा उपयोग करते हैं तो बड़ी चोट पहुंचती है। लेकिन तुम खुद अपने को वस्तु की तरह उपयोग कर रहे हो यह तुमने सोचा, तुमने अपने को आत्मा की तरह उपयोग किया है? कभी जीवन के किसी क्षण में तुमने खुद अपने को वस्तु की तरह उपयोग किया है, एक शरीर मात्र।
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और जब तुम खुद ही अपने यह दुर्व्यवहार कर रहे हो, तो दूसरों से क्या शिकायत? वे तुमसे वही कर रहे हैं जो तुम अपने से कर रहे हो। और शरीर तो वस्तु है ही। तुम अपने भीतर छिपे हुए उस चैतन्य को पहचानने की कोशिश करो जो वस्तु नहीं है। फिर तुम्हारा कोई भी कैसा भी उपयोग करे, तुम भलीभांति समझोगे कि तुम दूर खड़े देख रहे हो। वह तुम्हारा उपयोग नहीं है...........😍

🌹 _*ओशो*_ 🌹
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