卐 सत्यराम सा 卐
*साधु समाना राम में, राम रह्या भरपूर ।*
*दादू दोनों एक रस, क्यों कर कीजै दूर ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
*सच्चे पूजक की रोटी भगवान नित्य खाते हैं -*
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सच्चे पूजक की प्रभु, रोटी प्रतिदिन खाय ।
धन्ना की खाते रहे, हरि मन में हर्षाय ॥१३६॥
एक जाट के लड़के का नाम था धन्ना । एक बार उसके घर एक ब्राह्मण आया था । उसे पूजा करते देखकर बालक धन्ना ने भी पूजा करने लिये उससे मूर्ति माँगी ।
प्रथम तो ब्राह्मण नट गया किन्तु अन्त में बाल हट देखकर एक काला पत्थर दे दिया । वह गो चराने जाता था । जंगल में तालाब पर जाकर उसने पूजा आरंभ की । पूजा समाप्त होते ही उसकी माता रोटियां लेकर आई ।
बालक ने रोटी भगवान के आगे रख दी । जब बहुत विनय करने पर भी भगवान ने रोटी नहीं खाई तब धन्ना ने भी नहीं खाकर रोटियां तालाब में डाल दी । इस प्रकार बहुत दिन बीत गये । भूख से धन्ना बहुत कमजोर हो गया ।
अन्त में भगवान प्रसन्न हुये और प्रगट हो कर उसकी रोटी खाने लगे । जब आधा भोजन खा चुके तब धन्ना ने कहा "क्या सब तुम ही खा जाओगे कुछ मुझे भी तो दो" । भगवान हंसे और बची रोटी धन्ना को दे दी । अब प्रतिदिन ही ऐसी ही व्यवस्था हो गई ।
इससे सूचित होता है कि सच्चे पूजक की रोटी भगवान प्रति दिन खाते हैं ।
### अर्चना भक्ति ### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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