सोमवार, 2 सितंबर 2019

= सुन्दर पदावली(२६. राग संकराभरन - १/२) =

#daduji


॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
.
*भूलि रह्यौ बिषया सुष मांहीं*
*याही तैं निश दिन भटक्यौ रे ॥२॥* 
*गुरु साधन कौ कह्यौ न मानै*
*बहु बिधि करि उनि हटक्यौ रे ॥३॥* 
*सुन्दर मंत्र न लागत कोई*
*माया सांपनि गटक्यौ रे ॥४॥* 
तूँ सांसारिक विषयवासनाओं के चक्र में फँस गया, इसलिए तूँ रात दिन भटकता फिर रहा है ॥२॥ 
तूं ने गुरुपदेश को माना नहीं । अनेक उपाय करता हुआ तूँ उस उपदेश से दूर होता गया ॥३॥ 
इस माया सर्पिणी ने डंस कर तुझ पर विष का ऐसा प्रभाव छोड़ दिया है कि अब वह प्रभाव गुरुपदेश से भी नष्ट नहीं हो रहा है ॥४॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें