🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*एक मना लागा रहै, अंत मिलेगा सोइ ।*
*दादू जाके मन बसै, ताको दर्शन होइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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क्षुधा त्रस्त सुर आदि को, करत तृप्त भगवान ।
यज्ञ रूप होकर किया, कर सुयज्ञ अनुष्ठन ॥४८॥
इस कल्प के प्रथम मन्वन्तर में, देवता अनाहार से क्षीण हो रहे थे । देवताओं के दुराब होने से व्यक्त जगत नष्ट होता था रहा था । वर्षा, अन्न, अग्नि, वायु और पृथ्वी सब नि:सत्त्व प्राय हो चले थे तब महर्षि रूचि की पत्नी आकूती ने भगवान से यज्ञ रूप प्रगट होकर अग्निहोत्र द्वारा सब को शक्ति प्रदान की थी।
उन्हीं के नाम से अग्निहोत्र यज्ञ नाम से पुकारा जाने लगा है ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###
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