🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*दादू सूक्ष्म मांहिले, तिनका कीजे त्याग ।*
*सब तज राता राम सौं, दादू यहु वैराग ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विचार का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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कभी कभी दुष्कर्म से, हो उत्पन्न विराग ।
मृग हतत वाजींद को, हुआ तजा जग जाग ॥१८८॥
वाजींदजी शिकार करने गये थे । वन मे एक गर्भवती मृगी को बाण मारा । बाण लगते ही उसका गर्भ बाहर आ गिरा और वह भी छटापटाकर मर गई । इस दृष्य को देख कर वाजींदजी को सहसा भोगों से वैराग्य हो गया ।
उसी क्षण भोगी जीवन से तपस्वी जीवन बनाने का निश्चय करके अपना धनुष और बाणों को तोड़ डाला ।
अन्य सब शस्त्र भी फेंक दिये और घोड़े को भी वहां छोड़ दिया । फिर संतवर दादूजी की शरण आकर उनसे दीक्षा लेकर साधन मे लग गये । वे ही आगे चलकर एक अच्छे संत और श्रेष्ठ कवि हुवे ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###
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