#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*अहो हरि देहु दरस*
*अरस परस तरसत मोहि जाई ।*
*प्रान त्याग हौंन लाग*
*मिलिहौ कब आई ॥(टेक)*
*फिरत हौं उदास बास आस एत तेरी ।*
*निस बासर कल न परत देहु दादि मेरी ॥१॥*
हे हरि ! आप मुझे साक्षात् दर्शन दीजिये, क्योंकि मैं आपके दर्शन के बिना बहुत व्याकुल हूँ । अब तो आपके दर्शन बिना मेरे प्राणत्याग की स्थिति आ गयी है । आपके दर्शन कब होंगे । आप मुझे कब मिलोगे ॥टेक॥
अब मैं आपके बिना सदा उदास रहता हुआ निरुदेश्य इधर उधर घूमता रहता हूँ । मुझे आपके बिना, न दिन न रात, कभी चैन नहीं मिलता । मेरी रक्षा कीजिये ॥१॥
(क्रमशः)
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