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*सेवक की रक्षा करे, सेवक की प्रतिपाल ।*
*सेवक की बाहर चढे, दादू दीनदयाल ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ बिनती का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ##भाग २ ##साधना*
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साधन दृढ विश्वास से, फल देता तत्काल ।
हिम वर्षा से खेत अरु, बचा भली विध बाल ॥१७॥
जयपुर राज्य की बात है, एक संत ने किसी बालक को संतवर दादूजी का निम्नलिखित पद्य याद करवा कर कहा, जब भी तुझ पर दु:ख पड़े तब इसका पाठ करना, तेरी रक्षा हो जायेगी ।
पद्य -
सेवक की रक्षा करे, सेवक की प्रतिपाल ।
सेवक की बाहर चढे, दादू दीनदयाल ॥
बालक ने इस पर दृढ विश्वास कर लिया ।
शीतकाल का समय था, बालक गेहूँ के खेत की रक्षा कर रहा था । अकस्मात् हिम की भारी वर्षा हौने लगी, बालक विश्वासपूर्वक साखी का पाठ करता हुआ खेत की परिक्रमा देने लगा । आसपास के सब खेत नष्ट हो गये और बहुत संख्या में पशु-पक्षी भी मर गये । किन्तु बालक तथा उसके खेत में एक भी बर्फ का कंकर नही गिरा ।
वर्षा बंद होने पर गांव से दौड़कर बालक के माता-पिता आये और देखा कि अन्य सब खेत तो नष्ट हो चुके हैं किन्तु हमारा बालक और खेत सुरक्षित है । बालक से पूछा - तू तथा खेत कैसे बचा ?
बालक - इस संत वचन के प्रताप से बचा । इससे सूचित होता है कि विश्वासपूर्वक साधन का फल तत्काल ही मिल जाता है ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###
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