गुरुवार, 5 सितंबर 2019

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卐 सत्यराम सा 卐
*साचे का साहिब धणी, समर्थ सिरजनहार ।*
*पाखंड की यहु पृथ्वी, प्रपंच का संसार ॥* 
*(श्री दादूवाणी ~ साँच का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*भक्त हिंसा को रोक कर लोकोपकार करते है -*
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भक्त रोक हिंसा करें, लोकन का उपकार ।
चैनदास ने कर किया, धीरा सर विस्तार ॥४५५॥
किसनगढ(अजमेर, राजस्थान) राज्य के धीरा ग्राम के तालाब पर दादूपंथी संत चैनदासजी ठहरे हुये थे । जोधपुर के प्रतापसिंह का कृपापात्र नारायणसिंह प्रात:काल ही वहां आकर शिकार के लिये गोली चलाने लगा ।
चैनदासजी को यह सहन नहीं हुआ । उन्होने कहा - भाई ! जीवों को मारना अच्छा नहीं । इसने तुम्हारा कुछ बिगाड़ा तो नहीं, इत्यादि शिक्षा दी किन्तु उसने एक नहीं सुनी और गोली चलाने ही लगा ।
तब चैनदासजी बोले - 'अरे गोले ! हमारे रहते हुये तू यहां शिकार नही कर सकता ।'
इस पर वह अति क्रोधित होकर चैनदानजी की ओर बढा किन्तु पास आते ही शक्ति हीन हो गया ।अपने शरीर मे तत्काल महान परिर्तन देख कर डर गया और वहाँ की हिंसा उसी दिन से बंद हो गई । फिर उस तालाब को चैनदासजी ने और भी खुदाया । अब वह महान बन गया । उस पर आठ - नौ ग्रामों के पशु पानी पीते हैं।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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