मंगलवार, 10 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*श्री दादू अनुभव वाणी, द्वितीय भाग : शब्द* 
*राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
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४२ - काल चेतावनी ? राग गौड़ी । पँजाबी त्रिताल
काहे रे नर करहु डफाण१, 
अन्त काल घर गोर२ मसाण ॥टेक॥
पहले बलवंत गये विलाइ, 
ब्रह्मा आदि महेश्वर जाइ ॥१॥
आगैं होते मोटे मीर, 
गये छाड़ पैगम्बर पीर ॥२॥
काछी देह कहा गर्बाना, 
जे उपज्या सो सबै विलाना ॥३॥
दादू अमर उपावनहार, 
आपहि आप रहे करतार ॥४॥
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काल से सावधान कर रहे हैं - 
हे मानव ! अपने को महान् समझ कर क्यों व्यर्थ ही डींग१मारता है ? अन्त में तो तेरा घर कब्र२ वो श्मशान ही होगा । 
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तेरे पहले अनेक बलवान् हो गये हैं, वे सभी मिट्टी में मिल गये । ब्रह्मा, महेश्वर आदि भी चले जायेंगे । 
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पहले बड़े - बड़े सरदार, पैगम्बर और पीर हुये हैं, वे भी अपना सब कुछ छोड़ कर चले गये । 
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यह कच्चा शरीर है, इसका क्या गर्व करना है ? जो उत्पन्न हुये हैं, वे सभी नष्ट होने वाले हैं । 
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अमर तो एक सृष्टि - रचयिता स्वयँ ईश्वर ही रहता है ।
(क्रमशः)

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