शनिवार, 14 सितंबर 2019

= सुन्दर पदावली(२७. राग धनाश्री - ३/२) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
.
*सुर नर मुनि जन सिध अरु साधक*
*शिव बिंरचि उन तांई वे ।* 
*उनमनि ध्यान रहत निस बासर*
*वै भी कहत डरांई वे ॥२॥* 
*अति हैरान भये सब कोई*
*तेरी पनह रहांई वे ।* 
*मुझ गरीब की क्या गमि येती*
*सुंदर बलि बलि जाई वे ॥३॥* 
सुर, नर, मुनि, सिद्ध, साधक एवं शिव और ब्रह्मा तक सभी उन्मनी समाधि निरंतर लगा कर भी आपकी वास्तविकता नहीं बता पाये, वे भी इसका वर्णन करने में संकोच ही मान रहे हैं ॥२॥ 
वे भी आपकी यथार्थता वर्णन करने में हैरान हैं, वे भी ऐसा करने से बचना ही चाहते हैं । तब मुझ जैसे मूढ की तो गति ही क्या हो सकती है । मैं तो आपकी बलिहारी जाता हूँ ॥३॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें